पटना: कैंसर आज भी भारत समेत पूरी दुनिया में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है। हर साल लाखों लोग इस घातक बीमारी की चपेट में आते हैं। हालांकि चिकित्सा विज्ञान ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन समय रहते इसकी पहचान और जनजागरूकता ही जीवन बचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कैंसर के प्रति व्यापक जन-जागरूकता, रोकथाम, प्रारंभिक जांच और सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से लड़ना संभव है।
कैंसर
असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि
से उत्पन्न होने वाला रोग
है, और अब तक
इसके 100 से अधिक प्रकार
पहचाने जा चुके हैं।
भारत में स्तन कैंसर,
सर्वाइकल कैंसर, ओरल कैंसर, फेफड़ों
का कैंसर, कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर
तेजी से बढ़ रहे
हैं। समय पर मैमोग्राफी,
पैप स्मीयर, कोलोनोस्कोपी, पीएसए टेस्ट और त्वचा की
नियमित जांच जैसे स्क्रीनिंग
टूल्स से इनकी समय
पर पहचान कर इलाज संभव
है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नोएडा के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं यूनिट हेड डॉ. अंशुमान कुमार ने बताया कि “तंबाकू सेवन, मोटापा, असंतुलित आहार, शराब का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, संक्रमण (जैसे HPV और हेपेटाइटिस बी) और UV किरणों के संपर्क जैसे कारक कई प्रकार के कैंसर का कारण बनते हैं। ऐसे में जीवनशैली में सुधार, नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन और नशे से दूरी जैसी आदतें अपनाकर काफी हद तक कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। कैंसर के लक्षणों में किसी भी हिस्से में गांठ या सूजन, असामान्य रक्तस्राव, तिल या मस्सों में बदलाव, आवाज बैठना, निगलने में कठिनाई या मल-मूत्र की आदतों में बदलाव जैसे संकेत शामिल हो सकते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज न करते हुए तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।“
कैंसर
जागरूकता अभियान केवल शारीरिक स्वास्थ्य
तक सीमित नहीं होते, बल्कि
मानसिक और सामाजिक स्तर
पर भी सहयोग और
जानकारी प्रदान करते हैं। यह
न केवल मरीज बल्कि
उनके परिवार और देखभाल करने
वालों को भी समर्थन
देते हैं। इसके साथ
ही रिसर्च व इलाज से
जुड़ी फंडिंग और नवाचारों को
भी बढ़ावा देते हैं।
पटना
जैसे शहरों में इस तरह
की जागरूकता कैंपेन लोगों में समय पर
जांच और इलाज की
प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करेंगे
और कैंसर के प्रति डर
और कलंक को कम
करने में मददगार सिद्ध
होंगे। डॉ. अंशुमान कुमार
का यह प्रयास बिहार
में कैंसर के खिलाफ लड़ाई
को एक नई दिशा
और उम्मीद देगा।