This is default featured slide 1 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 2 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 3 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 4 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

This is default featured slide 5 title

Go to Blogger edit html and find these sentences.Now replace these sentences with your own descriptions.This theme is Bloggerized by Lasantha Bandara - Premiumbloggertemplates.com.

Showing posts with label Health. Show all posts
Showing posts with label Health. Show all posts

August 26, 2025

लिवर ट्रांसप्लांट: जब दवाइयाँ और जीवनशैली बदलाव पड़ जाएँ कमज़ोर

लिवर ट्रांसप्लांट: जब दवाइयाँ और जीवनशैली बदलाव पड़ जाएँ कमज़ोर

लखनऊ: गंभीर लिवर रोग से जूझ रहे लोगों के लिए लिवर ट्रांसप्लांट जीवनरक्षक विकल्प साबित हो सकता है। जब लिवर सही तरीके से काम करना बंद कर देता हैतो दवाइयाँ और जीवनशैली में बदलाव  पर्याप्त नहीं होते। ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट मरीजों को एक नई उम्मीद और जीवन देने का माध्यम बन जाता है। 


लिवर ट्रांसप्लांट एक शल्यक्रिया है जिसमें खराब हो चुके लिवर को स्वस्थ डोनर के लिवर से बदला जाता है। लिवर शरीर से विषैले तत्वों को निकालनेप्रोटीन बनाने और पाचन में मदद करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। जब यह अंग असफल हो जाता है तो पूरा शरीर प्रभावित होता है। लिवर की एक अद्भुत विशेषता यह है कि यह स्वयं को पुनर्जीवित कर सकता है। इसी वजह से लिविंग डोनर ट्रांसप्लांट में डोनर के लिवर का केवल एक हिस्सा मरीज को प्रत्यारोपित किया जाता है और कुछ ही हफ्तों में दोनों का लिवर पूर्ण आकार में वापस आ जाता है। 


बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटलनई दिल्ली के एचपीबी सर्जरी एवं लिवर ट्रांसप्लांटेशन विभाग के वाइस चेयरमैन एवं एचओडी  डॉ. अभिदीप चौधरी ने बताया कि हर लिवर के मरीज़ को ट्रांसप्लांट की आवश्यकता नहीं होती। यह तभी किया जाता है जब लिवर पूरी तरह काम करना बंद कर देता है। इसके प्रमुख कारणों में हेपेटाइटिस बी या सी से होने वाला सिरोसिसअल्कोहल से संबंधित लिवर रोगफैटी लिवरशुरुआती अवस्था का लिवर कैंसरजेनेटिक बीमारियाँ जैसे विल्सन डिज़ीज़ और हेमोक्रोमैटोसिसतथा शिशुओं में बिलियरी एट्रेशिया शामिल हैं। मरीज की गंभीरता का आकलन करने के लिए डॉक्टर ‘मेल्ड स्कोर’ का उपयोग करते हैंजहाँ अधिक स्कोर का मतलब अधिक गंभीर लिवर क्षति होती है।“ 


डॉ. अभिदीप ने आगे बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट दो प्रकार से किया जाता है – पहलाडीसीज़्ड डोनर ट्रांसप्लांटजिसमें अंग दान करने वाले मृत व्यक्ति के परिवार की सहमति से लिवर लिया जाता है। दूसरालिविंग डोनर ट्रांसप्लांटजिसमें जीवित रिश्तेदार (भारतीय कानून के अनुसार) अपना लिवर का हिस्सा दान करते हैं। यह तरीका इंतजार का समय घटाता है और सर्जरी को योजनाबद्ध तरीके से संभव बनाता है। यह शल्यक्रिया सामान्यतः से 12 घंटे तक चल सकती है। ऑपरेशन के बाद मरीज को कुछ दिन आईसीयू में रखा जाता है और लगभग से सप्ताह तक अस्पताल में निगरानी की जाती है। मरीज को आजीवन इम्यूनोसप्रेसिव दवाएँ लेनी पड़ती हैं ताकि नया लिवर शरीर द्वारा अस्वीकार न किया जाए। अधिकतर मरीज से महीने के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियों में लौट सकते हैं।“ 


हालाँकि यह एक जटिल शल्यक्रिया है और इसमें संक्रमणबाइल डक्ट की समस्या या अंग अस्वीकृति जैसी जटिलताएँ हो सकती हैंलेकिन आधुनिक तकनीकों और प्रभावी दवाओं की मदद से सफलता दर में काफी वृद्धि हुई है। आज हजारों मरीज सफल लिवर ट्रांसप्लांट के बाद लंबा और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। 


लिवर ट्रांसप्लांट सिर्फ एक चिकित्सकीय प्रक्रिया नहीं हैबल्कि यह जीवन का दूसरा मौका है। यदि किसी को इसकी आवश्यकता हो सकती हैतो उन्हें विशेषज्ञ ट्रांसप्लांट सेंटर से संपर्क कर पात्रताप्रक्रिया और रिकवरी के बारे में जानकारी अवश्य लेनी चाहिए।

August 09, 2025

रोबोटिक तकनीक से जोड़ों की सर्जरी हुई और भी सटीक और असरदार

रोबोटिक तकनीक से जोड़ों की सर्जरी हुई और भी सटीक और असरदार

अलीगढ: जोड़ों का दर्द, जिसे पहले एक सक्रिय जीवनशैली में बाधा माना जाता था, अब एक्टिव रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट जैसी नवीनतम ऑर्थोपेडिक तकनीकों की मदद से प्रभावी रूप से इलाज किया जा रहा है। यह अत्याधुनिक तकनीक नी और हिप की सर्जरी में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है, जिससे मरीजों को अधिक सटीक परिणाम, तेज़ रिकवरी, कम दर्द और प्राकृतिक जोड़ों की गति का अनुभव हो रहा है।

 

एक्टिव रोबोटिक सिस्टम 3डी इमेजिंग और रोबोटिक सटीकता का संयोजन करते हैं। सर्जरी से पहले उन्नत इमेजिंग तकनीकों से एक विस्तृत योजना तैयार की जाती है, और सर्जरी के दौरान रोबोटिक सहायता से हर कट और इम्प्लांट की पोजीशन बेहद सटीकता से सुनिश्चित की जाती है। यह सटीक एलाइनमेंट जोड़ों को अधिक स्थायित्व और लंबी उम्र प्रदान करता है, साथ ही आसपास के सॉफ्ट टिशूस को कम नुकसान पहुंचाता है, जिससे रिकवरी सुगम और तेज़ होती है।

 

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के चेयरमैन एवं चीफ डॉ. सुजॉय भट्टाचार्य ने बताया कि "इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ तेज़ गतिशीलता है। पारंपरिक सर्जरी में जहां रिकवरी में समय लगता है, वहीं एक्टिव रोबोटिक रिप्लेसमेंट के बाद मरीज कुछ घंटों के भीतर खड़े होकर चलना शुरू कर सकते हैं। मांसपेशियों और लिगामेंट्स को बड़ी कटिंग से बचाया जाता है, जिससे शरीर को कम आघात लगता है, दर्द कम होता है और रिकवरी तेज़ होती है। प्रारंभिक गतिशीलता से ब्लड क्लॉट की संभावना भी कम होती है और मांसपेशियां जल्द मजबूत होती हैं।"

 

एक्टिव रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट तकनीक कई दृष्टिकोणों से पारंपरिक सर्जरी की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हो रही है। यह प्रमुख मांसपेशियों और लिगामेंट्स को सुरक्षित रखते हुए जोड़ों की अधिक स्वाभाविक गति सुनिश्चित करती है और ऑपरेशन के बाद दर्द को काफी हद तक कम करती है। इस तकनीक के चलते मरीज सर्जरी के कुछ ही घंटों के भीतर चलना शुरू कर सकते हैं, जिससे तेजी से रिकवरी संभव होती है। यह प्रक्रिया कम रक्तस्राव, छोटे चीरे और घाव संबंधी जटिलताओं की न्यूनतम संभावना के साथ होती है। इसके अतिरिक्त, मरीजों को विस्तृत रिहैबिलिटेशन की आवश्यकता भी नहीं होती, जिससे वे जल्द ही अपनी सामान्य दिनचर्या जैसे चलना-फिरना और ड्राइविंग आदि दोबारा शुरू कर पाते हैं। इन सभी विशेषताओं के चलते यह तकनीक जॉइंट रिप्लेसमेंट को अधिक स्थायी और पेशेंट सेंट्रिक बना रही है।

 

ग्रामीण या दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले मरीजों के लिए सिंगल विज़िट रोबोटिक सर्जरी अत्यंत सुविधाजनक है। मूल्यांकन से लेकर सर्जरी और प्रारंभिक रिहैबिलिटेशन तक की संपूर्ण प्रक्रिया एक ही अस्पताल प्रवास में पूरी हो जाती है। कम सहायक रिहैबिलिटेशन की आवश्यकता के कारण, मरीज जल्दी ही चलने-फिरने और यहां तक कि ड्राइविंग जैसी सामान्य गतिविधियाँ भी शुरू कर सकते हैं।

 

डॉ. सुजॉय ने आगे कहा, "एक्टिव रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के कई लाभ हैंजैसे कि प्रमुख मांसपेशियों और लिगामेंट्स की सुरक्षा से प्राकृतिक जोड़ों की गति बनी रहती है, दर्द कम होता है, और मरीज जल्दी चलने लगते हैं। सर्जरी के दौरान खून की कमी कम होती है, चीरे छोटे होते हैं और घाव जल्दी भरते हैं। साथ ही व्यापक रिहैबिलिटेशन की जरूरत भी नहीं पड़ती, जिससे मरीज अपने सामान्य जीवन में जल्दी लौट पाते हैं।"

 

एक्टिव रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट ऑर्थोपेडिक देखभाल में एक बड़ी छलांग है, जो तकनीक को पेशेंट सेंट्रिक परिणामों से जोड़ता है। कम दर्द, तेज़ रिकवरी और दीर्घकालिक लाभों के साथ यह उन्नत तकनीक मरीजों को दोबारा आत्मविश्वास और आराम से जीने की राह दिखा रही है।

July 30, 2025

अब घुटनों के दर्द से राहत की नई उम्मीद, स्मार्ट रोबोटिक्स तकनीक से सफल सर्जरी

Now new hope for relief from knee pain, successful surgery with smart robotics technology

पलवल: घुटनों का दर्द आम जीवन के छोटे-छोटे कामों को भी कठिन बना देता है – चाहे वह सीढ़ियाँ चढ़ना हो, चलना हो या बिस्तर से उठना। जब दवाइयाँ और फिजियोथेरेपी असर करना बंद कर देती हैं, तब नी रिप्लेसमेंट ही एकमात्र समाधान बनता है। अब इस प्रक्रिया को और भी सुरक्षित, सटीक और सरल बनाया है स्मार्ट रोबोटिक्स तकनीक ने, जिसके जरिए मरीज बहुत जल्दी सामान्य जीवन में लौट सकते हैं।


मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के ऑर्थोपेडिक्स व जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के चेयरमैन और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के चीफ डॉ. रमणीक महाजन ने बताया कि “MAKO SmartRobotics™ तकनीक के ज़रिए नी और हिप रिप्लेसमेंट किया जा रहा है। यह रोबोटिक-आर्म असिस्टेड सिस्टम अत्याधुनिक 3D स्कैन के ज़रिए सर्जरी से पहले प्रत्येक मरीज के घुटने की बनावट और गति के अनुसार व्यक्तिगत योजना तैयार करता है। ऑपरेशन के दौरान सर्जन पूरे नियंत्रण में रहते हैं और रोबोटिक आर्म केवल सटीकता सुनिश्चित करता है। इस तकनीक के साथ अस्पताल में अपनाई गई "अंडर वास्टस – कॉम्ब-ओवर" नामक विशेष सर्जिकल विधि जांघ की मुख्य मांसपेशी को काटे बिना उसके नीचे से ऑपरेशन की सुविधा देती है, जिससे मांसपेशियों को न्यूनतम नुकसान पहुंचता है। इस मांसपेशी-संरक्षण तकनीक के कारण मरीजों को सर्जरी के बाद कम दर्द होता है, रिकवरी तेज़ होती है और वे पहले दिन से ही बेहतर गतिशीलता के साथ चलना शुरू कर सकते हैं।“


यह तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो सक्रिय जीवनशैली जीते हैं या जल्दी काम पर लौटना चाहते हैं, जैसे खिलाड़ी या पेशेवर लोग। MAKO SmartRobotics™ से की गई सर्जरी कई प्रभावशाली फायदे प्रदान करती है, जैसे छोटा चीरा और कम टिशू डैमेज, ऑपरेशन के बाद दर्द में भारी कमी, न्यूनतम रक्तस्राव, मरीज का चार घंटे में चलने लगना और 24 घंटे में अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाना। इसके अलावा, सर्जरी में घुलनशील टांके लगाए जाते हैं जिससे टांके हटवाने की आवश्यकता नहीं होती।


डॉ. रमणीक ने आगे बताया कि, “हमारी कोशिश यही है कि नी रिप्लेसमेंट के बाद मरीज जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़ा हो सके, दर्द से राहत पाए और जीवन को फिर से पूरे उत्साह से जी सके। स्मार्ट रोबोटिक्स और उन्नत इम्प्लांट्स से हम यह संभव बना रहे हैं।”


इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होते हैं Stryker कंपनी के Triathlon® स्मार्ट इम्प्लांट, जो मरीज को असली घुटने जैसा एहसास देते हैं। इनका गोल आकार हर दिशा में प्राकृतिक मूवमेंट को संभव बनाता है। वर्षों की रिसर्च से प्रमाणित ये इम्प्लांट लंबे समय तक चलने वाले और भरोसेमंद हैं।