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June 16, 2025

डिजिटल युग में सिरदर्द की बढ़ती समस्या - स्क्रीन टाइम और तनाव

डिजिटल युग में सिरदर्द की बढ़ती समस्या - स्क्रीन टाइम और तनाव

बहादुरगढ़: डिजिटल युग में जहां हर कार्य ऑनलाइन हो गया है—वीडियो कॉल्स पर मीटिंग्स, बच्चों की वर्चुअल क्लासेस, और सोशल मीडिया पर रिलैक्सेशन—वहीं यह सुविधा हमारे स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। खासकर, स्क्रीन टाइम और मानसिक तनाव से जुड़े सिरदर्द की समस्या बढ़ रही है, जो अब आम होती जा रही है।


फोन, टैबलेट, कंप्यूटर और टीवी जैसी स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट और लगातार एक ही जगह ध्यान केंद्रित करने की आदत से आंखों में थकान होती है, जिसे कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहा जाता है। यह टेंशन-टाइप सिरदर्द का कारण बन सकता है। साथ में, गलत मुद्रा और लगातार बिना ब्रेक के स्क्रीन देखने की आदत इस समस्या को और बढ़ा देती है।


मैक्स अस्पताल, शालीमार बाग के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. के. के. जिंदल ने बताया कि “वहीं तनाव एक और बड़ा कारण है जो अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। लगातार ऑनलाइन रहने का दबाव, काम का तनाव और सोशल मीडिया पर तुलना का सिलसिला मानसिक बोझ बढ़ाता है, जिससे दिमाग की दर्द सहने की क्षमता कम हो जाती है, और सिरदर्द जल्दी शुरू हो जाता है—खासकर माइग्रेन या टेंशन-टाइप सिरदर्द से पीड़ित लोगों में। सबसे चिंताजनक बात यह है कि स्क्रीन और तनाव का यह चक्र एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं। सिरदर्द से चिड़चिड़ापन और नींद की कमी होती है, जिससे तनाव और स्क्रीन पर निर्भरता और बढ़ जाती है। यह चक्र आगे चलकर क्रॉनिक डेली हेडेक या दवाओं के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले सिरदर्द का रूप ले सकता है।“


डॉ. जिंदल ने आगे बताया कि “सिरदर्द की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए, खासकर जब यह बार-बार हो रहा हो। यदि सप्ताह में दो से अधिक बार सिरदर्द होता है, उसके साथ मतली, देखने में बदलाव, रोशनी या आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता महसूस होती है, या सिरदर्द के कारण दवाओं पर निर्भरता बढ़ रही है और यह नींद या कामकाज में बाधा डाल रहा है, तो ये माइग्रेन या किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के संकेत हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। सिरदर्द से बचाव के लिए कुछ आसान उपायों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है—जैसे 20-20-20 नियम का पालन करना (हर 20 मिनट बाद 20 फीट दूर 20 सेकंड तक देखना), रात में स्क्रीन टाइम कम करना, सही बैठने की मुद्रा बनाए रखना, तनाव कम करने के लिए योग, टहलना या गहरी सांस लेना, और गर्मियों में पर्याप्त पानी पीना तथा भोजन न छोड़ना। इन सावधानियों से सिरदर्द की आवृत्ति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।“


अगर सिरदर्द लगातार हो रहा है, समय के साथ बढ़ रहा है, या इसके साथ कमजोरी, बोलने में दिक्कत, देखने में समस्या जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण आ रहे हैं, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।


डिजिटल युग में जहां टेक्नोलॉजी हमारी ज़रूरत बन चुकी है, वहीं इसके साथ संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है। टेक्नोलॉजी जीवन को आसान बना सकती है, लेकिन अगर यह स्वास्थ्य पर असर डालने लगे, तो सतर्कता ही सबसे बड़ी समझदारी है। 

June 15, 2025

ब्रेन ट्यूमर से डरें नहीं समझदारी से बढ़ाएं कदम, समय पर पहचान बचा सकती है जान

ब्रेन ट्यूमर से डरें नहीं समझदारी से बढ़ाएं कदम, समय पर पहचान बचा सकती है जान

रोहतक। दिमागी स्वास्थ्य के लिहाज से ब्रेन ट्यूमर एक ऐसा नाम है जो अक्सर डर और चिंता पैदा कर देता है। इस शब्द का जिक्र होते ही लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि हर ब्रेन ट्यूमर खतरनाक नहीं होता। कई ट्यूमर इलाज योग्य और बेनाइन (गैर-कैंसरयुक्त) होते हैं। यदि हम इसके बारे में बुनियादी जानकारी रखें तो डर कम होता है और सह सही समय पर उचित निर्णय लेना आसान हो जाता है। जागरूकता और समय पर कार्रवाई से बड़े फर्क की संभावना होती है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क या उसे ढकने वाले टिशूस में बनने वाला एक असामान्य सेल समूह होता है। ये ट्यूमर बेनाइन (गैर-कैंसरयुक्त) या मैलिग्नेंट (कैंसरयुक्त) हो सकते हैं। दोनों ही प्रकार के ट्यूमर मस्तिष्क के हिस्सों को दबाकर या उनके कार्य को प्रभावित कर लक्षण पैदा कर सकते हैं।   


मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के न्यूरोसर्जरी विभाग के सीनियर डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ अनिल कुमार कंसल ने बताया कि हर ब्रेन ट्यूमर की पहचान अलग-अलग लक्षणों से होती है, जो ट्यूमर के स्थान, प्रकार और आकार पर निर्भर करते हैं। इसके कुछ सामान्य चेतावनी संकेतों में बार-बार या बढ़ते सिरदर्द, बिना पूर्व इतिहास के दौरे, धुंधली या दोहरी दृष्टि, बोलने या सुनने या सुनने में बदलाव, बिना कारण उल्टी या मतली, संतुलन या चलने में कठिनाई, अंगों में कमजोरी या सुन्नपन और स्मृति या व्यक्तित्व में बदलाव शामिल हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज न करते हुए समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है। यदि आप या आपके आसपास किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखाई दें, तो घबराएं नहीं, लेकिन देर किए बिना डॉक्टर से मिलें ताकि समय रहते जांच और इलाज हो सके। ब्रेन ट्यूमर मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित होते हैं। 


प्राथमिक ट्यूमर, जो मस्तिष्क में ही उत्पन्न होते हैं जैसे मेनिंजियोमा, ग्लिओमा और पिट्यूटरी एडेनोमा, तथा द्वितीयक या मेटास्टेटिक ट्यूमर, जो शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क में फैलते हैं। अधिकतर ब्रेन ट्यूमर बेनाइन होते हैं और शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलते, लेकिन यदि ये बड़े हो जाएं और मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों पर दबाव डालें, तो खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए चाहे ट्यूमर कैंसरयुक्त हो या नहीं, समय पर निदान और इलाज बेहद जरूरी होता है। ज्यादातर मामलों में इसका कोई निश्चित कारण नहीं होता। कुछ मामलों में यह आनुवंशिक कारणों से होता है। जीवनशैली, रेडिएशन एक्सपोजर और पर्यावरणीय कारण भी भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों में ब्रेन ट्यूमर अनायास ही होता है। मोबाइल फोन के उपयोग और ब्रेन ट्यूमर के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं पाया गया है।  


डॉ. अनिल ने बताया कि "ब्रेन ट्यूमर का सही समय पर निदान बेहद आवश्यक होता है, क्योंकि जितनी जल्दी इसका पता चलता है, इलाज के बेहतर विकल्प मिलते हैं। डॉक्टर आमतौर पर एमआरआई या सीटी स्कैन, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण, आवश्यकता अनुसार बायोप्सी और कुछ मामलों में ब्लड टेस्ट या जेनेटिक टेस्टिंग जैसी तकनीकों की मदद से ट्यूमर की पुष्टि करते हैं। इलाज की प्रक्रिया ट्यूमर के प्रकार, आकार, स्थान और मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है। उपचार के विकल्पों में सर्जरी (यदि ट्यूमर हटाया जा सके), रेडिएशन थैरेपी (ऊर्जा किरणों से ट्यूमर को कम करना), कीमोथैरेपी (दवाओं से ट्यूमर कोशिकाओं को खत्म करना) और टार्गेटेड थैरेपी या इम्यूनोथैरेपी (शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से कैंसर कोशिकाओं पर हमला करना) शामिल हैं।" 


आज की मॉनिटरिंग तकनीक, नई दवाएं और सहायक उपचार से मरीज लंबे और सामान्य जीवन जी सकते हैं। अगर सिरदर्द लंबे समय तक बना रहे, देखने या संतुलन में परेशानी हो, या कोई असामान्य न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखे, तो नजरअंदाज न करें। इसका मतलब यह नहीं कि आपको ब्रेन ट्यूमर है, लेकिन समय पर जांच आपको गंभीर स्थिति से बचा सकती है। ब्रेन ट्यूमर गंभीर होते हैं, लेकिन समय रहते पहचाने जाएं तो उनका इलाज संभव है। गलत जानकारी डर बढ़ा सकती है। सही जानकारी न केवल भय को कम करती है, बल्कि समझदारी भरे स्वास्थ्य निर्णय में मदद करती है और कई बार जीवन भी बचा सकती है।

June 02, 2025

Vidyamandir Classes (VMC) bursts into celebration as students shine in JEE Advanced 2025

Vidyamandir Classes (VMC) bursts into celebration as students shine in JEE Advanced 2025

New Delhi, 2nd June 2025: Vidyamandir Classes (VMC), a name synonymous with academic excellence in engineering entrance preparation, has once again proven its mettle with an exceptional performance in the JEE Advanced 2025 results declared today. With two of its brightest stars, Ujjwal Kesari and Daksh, securing All India Ranks (AIR) 5 and 24 respectively, VMC has marked a moment of pride and jubilation.


This achievement marks one of the best results from Delhi/NCR in recent years, with both Ujjwal Kesari (AIR 5) and Daksh (AIR 24) emerging from Vidyamandir Classes’ flagship Regular Classroom Programs—Ujjwal from the 3-Year Classroom Course and Daksh from the 2-Year Classroom Course. Their phenomenal success highlights the unmatched effectiveness of VMC’s classroom teaching methodology, where structured academic planning, in-person mentorship, and disciplined learning environments consistently produce top-ranking performers year after year.


The institute congratulated its top achievers and celebrated the success with faculty members, mentors, and fellow students across centres. The air was filled with excitement and pride as VMC centres witnessed scenes of celebration, highlighting the culmination of months of hard work, rigorous practice, and unwavering dedication.


Speaking on the occasion, Brij Mohan(Bade Bhaiya), IIT Delhi Alumnus, Co-Founder Vidyamandir Classes, said, "Every year, our students raise the bar, and this year is no different. Ujjwal’s and Daksh’s achievements are a reflection of the focused preparation, our scientifically designed teaching methodology, and the unparalleled dedication of our teaching faculty. JEE Advanced is one of the most challenging exams in the country, and our students continue to shine at the top level. This success reinforces the effectiveness of our academic system and the trust placed in us by thousands of aspirants and parents."


Over the years, VMC has consistently produced top rankers in JEE Advanced, thanks to its unique pedagogy, experienced faculty, and a learning ecosystem designed to nurture both conceptual clarity and exam temperament. The institute’s success in 2025 is yet another testament to its commitment to academic excellence and student success.


The achievers expressed heartfelt gratitude towards their mentors at VMC. “The structured approach, continuous doubt-solving support, and personalised mentoring at VMC played a key role in my preparation journey,” said Ujjwal Kesari, adding that the encouragement and motivation he received kept him focused throughout.


With this success, Vidyamandir Classes not only cements its legacy as a premier coaching institute for IIT aspirants but also sets a strong foundation for future batches to dream big and achieve bigger.


Heartiest congratulations to all the successful candidates and best wishes for their future journey!

May 20, 2025

25 मई 2025 को होगा वीएमसी का नेशनल एडमिशन टेस्ट

25 मई 2025 को होगा वीएमसी का नेशनल एडमिशन टेस्ट

नई दिल्ली : विद्यामंदिर क्लासेज (वीएमसी) देश का जाना-माना कोचिंग संस्थान है जो जेईई (मेन व एडवांस), नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में विशिष्टता रखता है. वीएमसी अपने फ्लैगशिप टेस्ट यानी एनएटी के लिए तैयार है जिसके जरिए छात्र एडमिशन और स्कॉलरशिप पा सकेंगे. ये टेस्ट 25 मई को होगा जिसके जरिए देशभर के अच्छे छात्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा और उनकी परफॉर्मेंस के लिए रिवॉर्ड भी दिया जाएगा. यह स्कॉलरशिप कम एडमिशन टेस्ट छात्रों को प्रोत्साहित करने और उन्हें शैक्षिक सफलता की ओर प्रेरित करने के लिए आयोजित किया जाएगा।


यह परीक्षा उन छात्रों के लिए है जो कक्षा 6वीं, 7वीं, 8वीं, 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं में जा रहे हैं। उन्हें विद्यामंदिर क्लासेज के विभिन्न प्रोग्राम्स में दाखिले और 100% तक की स्कॉलरशिप पाने का अवसर मिलेगा। इस टेस्ट के माध्यम से छात्र जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी में भी बढ़त हासिल करेंगे। इसके तहत वीएमसी संस्थापकों और विशेषज्ञों द्वारा मेंटॉरशिप / मोटिवेशनल सेशंस, नि:शुल्क डाउट रिज़ॉल्यूशन, निकटतम वीएमसी केंद्र पर अकादमिक सहायता, अच्छी तरह से शोधित और वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया ई-स्टडी मैटेरियल और असीमित मॉक टेस्ट का लाभ भी दिया जाएगा।


वीएमसी पूरे देश में नेशनल एडमिशन टेस्ट का आयोजन अपने प्रतिष्ठित क्लासरूम और ऑनलाइन प्रोग्राम्स के लिए छात्रों का चयन करने हेतु करता है। इन प्रोग्राम्स को जेईई और नीट के साथ-साथ ओलंपियाड्स और बोर्ड्स जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।


विद्यामंदिर क्लासेज के सह-संस्थापक श्री बृज मोहन ने कहा “विभिन्न चरणों में छात्रों की जरूरतों को समझना वीएमसी की शिक्षण पद्धति की प्रेरणा रहा है। यही कारण है कि हमारे छात्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। वीएमसी में कक्षाओं का नेतृत्व संस्थापकों और अत्यधिक अनुभवी फैकल्टी सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो जेईई और नीट जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करते हैं।”


विद्यामंदिर क्लासेज का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान की एक ठोस नींव तैयार करना और योग्य और प्रेरित इंजीनियरों और डॉक्टरों को तैयार करना है। जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले छात्रों को, जो देश के शीर्ष इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में अध्ययन करना चाहते हैं, इस परीक्षा को जरूर देना चाहिए।


अधिक जानकारी और एनएटी के लिए रजिस्ट्रेशन करने हेतु www.vidyamandir.com पर जाएं।

May 19, 2025

शरीर की गांठें कभी बन सकती हैं कैंसर का कारण

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

लखनऊ: बांह या टांग में अचानक कोई गांठ महसूस होना कई बार चिंता का विषय बन सकता है। हालांकि अधिकतर मामलों में ये गांठें हानिरहित होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती हैं, जिन्हें समय पर चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता होती है।

 

आम लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवरों के लिए यह समझना जरूरी है कि मरीज को विशेषज्ञ के पास रेफर करने की जरूरत कब है। सबसे अहम सवाल यह होता है कि कहीं यह गांठ कैंसरजन्य (सारकोमा) तो नहीं है?

 

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अक्षय तिवारी ने बताया कि "अगर किसी गांठ का आकार या आकृति समय के साथ बदल रही है, तो यह खतरे का संकेत हो सकता है। गांठ का तेजी से बढ़ना, उसमें दर्द होना, या त्वचा का रंग बनावट बदलनाये सभी लक्षण इस बात की ओर इशारा कर सकते हैं कि गांठ सामान्य नहीं है। यदि गांठ लाल, सूजी हुई या छूने पर गर्म लगती है, या गांठ के साथ बुखार, थकावट या वजन कम होना जैसे लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। इसके अलावा, यदि गांठ 5 सेंटीमीटर से बड़ी हो या मांसपेशियों के अंदर गहराई में स्थित हो, तो यह सारकोमा हो सकता है।"

 

सारकोमा यानी हड्डी या मांसपेशियों का कैंसर, एक दुर्लभ बीमारी है। इसी वजह से इसे अक्सर देर से पहचाना जाता है या गलत निदान हो जाता है। यदि आपको हाल ही में कोई नई या असामान्य गांठ दिखाई दे, खासकर उपरोक्त चेतावनी संकेतों के साथ, तो तुरंतऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। आमतौर पर जांच में रोगी का इतिहास, शारीरिक परीक्षण और आवश्यकतानुसार इमेजिंग टेस्ट या बायोप्सी शामिल होते हैं। समय पर पहचान और उपचार से सिर्फ बीमारी का इलाज संभव होता है, बल्कि प्रभावित अंग की कार्यक्षमता भी बचाई जा सकती है।

 

डॉ. तिवारी आगे कहते हैं, "स्वास्थ्य के मामले में सतर्कता सबसे बड़ी सुरक्षा है। अगर किसी गांठ को लेकर संदेह हो, या उसमें कोई बदलाव नजर आए, तो समय गंवाए बिना विशेषज्ञ से संपर्क करें। ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श लेकर जांच कराना ही समझदारी है।"

 

अपना और अपनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रखने के लिए जागरूक रहना जरूरी है। किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज करें और समय रहते जांच कराएंक्योंकि समय पर किया गया एक कदम, जीवन भर की सुरक्षा दे सकता है।

May 14, 2025

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

पटना: थैलेसीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में अधिकतर परिवार तब जान पाते हैं जब उनके बच्चे को यह बीमारी होती है। यह एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रेड ब्लड सेल्स नहीं बना पाता। चूंकि ये कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं, इसलिए इनकी कमी से बच्चा थका-थका महसूस कर सकता है, कमज़ोर हो सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

 

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ती है। ये रक्त चढ़ाना जीवन बचाने में सहायक होता है, लेकिन यह कोई स्थायी इलाज नहीं है। समय के साथ बार-बार रक्त चढ़ाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे दिल और लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। यह आजीवन निर्भरता बच्चों और उनके परिवारों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से थकाऊ हो सकती है।

 

हालांकि, आधुनिक चिकित्सा में अब एक उम्मीद की किरण हैबोन मैरो ट्रांसप्लांट यह उपचार विशेष रूप से बचपन में किया जाए तो यह एक नई शुरुआत का रास्ता बन सकता है।

 

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के बोन मैरो ट्रांसप्लांट और हीमैटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. रयाज़ अहमद ने बताया किबोन मैरो यानी बोन मैरो, हमारी हड्डियों के अंदर का नरम स्पंजी टिशू होता है, जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट में, खराब हो चुकी बोन मैरो को एक उपयुक्त डोनर की स्वस्थ बोन मैरो से बदला जाता है। इससे शरीर दोबारा सामान्य रेड ब्लड सेल्स बनाना शुरू कर सकता है और भविष्य में रक्त चढ़ाने की आवश्यकता कम या खत्म हो सकती है। यदि ट्रांसप्लांट सफल हो जाए, तो बच्चा पहले की तुलना में बेहतर स्वास्थ्य के साथ जीवन जी सकता है और उसकी जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार सकता है। यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं है, लेकिन यह लंबे समय तक राहत का रास्ता ज़रूर खोलती है।

 

ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कदम होता हैएक उपयुक्त डोनर की पहचान। अक्सर सगे भाई-बहन सबसे अच्छे मैच होते हैं, लेकिन कई मामलों में अनजान डोनर भी उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं। जितनी जल्दी मेल खाता डोनर मिल जाए, सफल ट्रांसप्लांट की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

 

डॉ. रयाज़ ने आगे बताया किथैलेसीमिया की पहचान जितनी जल्दी हो, उतना ही बेहतर होता है। यदि किसी बच्चे में कमज़ोरी, पीली त्वचा या धीमा विकास जैसे लक्षण होंया फिर परिवार में पहले से इसका इतिहास होतो डॉक्टर से मिलना बेहद आवश्यक है। सही समय पर निदान और उपचार की योजना बनाकर, परिवार BMT सहित सभी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। थैलेसीमिया से जूझना कठिन हो सकता है, लेकिन परिवार अकेले नहीं हैं। बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसे आधुनिक विकल्पों ने पहले ही कई ज़िंदगियों को बदल दिया है। सही चिकित्सकीय मार्गदर्शन और सहयोग से, थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे एक उज्जवल और सक्रिय भविष्य की ओर देख सकते हैं।

 

यदि आपके परिवार में किसी को थैलेसीमिया का निदान हुआ है, तो डॉक्टर से परामर्श करें। सही समय पर सही सलाह पाना जीवन बदल देने वाला साबित हो सकता है।

May 07, 2025

बार-बार हो रह है सिरदर्द? कहीं ये इस गंभीर बीमारी का इशारा तो नहीं? डॉक्टर से जानें वजह

बार-बार हो रह है सिरदर्द? कहीं ये इस गंभीर बीमारी का इशारा तो नहीं? डॉक्टर से जानें वजह
 

कुछ समस्याएं आम हैं, जिनमें से एक है सिरदर्द की समस्या. शायद ही कोई हो जो इस समस्या से पीड़ित हो. सिरदर्द एक कॉमन प्रॉब्लम है, जिसे हम अक्सर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन अगर यह बार-बार होने लगे, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं है. लगातार सिरदर्द कई बार किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. अगर आपको हफ्ते में तीन या उससे ज़्यादा बार सिरदर्द हो रहा है, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है. ऐसे में आज हम डॉ. आदित्य गुप्ता (डायरेक्टरन्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ, आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ) से जानेंगे कि आखिर सिरदर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं.

 

1. डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया कि माइग्रेन एक कारण हो सकता हैअगर सिरदर्द के साथ उल्टी जैसा मन हो, तेज़ रोशनी और आवाज से परेशानी होती है, तो यह माइग्रेन हो सकता है. माइग्रेन में सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होता है, जो कई घंटों तक बना रह सकता है. यह जेनेटिक भी हो सकता है और तनाव, नींद की कमी या हार्मोनल बदलावों से भी बढ़ता है.

 

2. हाई ब्लड प्रेशर का संकेत- कई बार सिरदर्द हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होता है. जब ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है, तो सिर भारी लगने लगता है और आंखों के पास दर्द महसूस होता है. यह स्थिति हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकती है

 

दर्द महसूस होता है. यह स्थिति हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकती है.

3. साइनसअगर सिरदर्द के साथ-साथ नाक बंद है, चेहरे या माथे में दर्द है, तो यह साइनस की समस्या हो सकती है. यह बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन की वजह से होता है और इलाज करने पर यह पुरानी समस्या बन सकती है.

 

4. ब्रेन ट्यूमर- बहुत ही कम मामलों में, बार-बार होने वाला सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है. खासकर जब दर्द के साथ उल्टी, नजर कमजोर होना, या शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.

 

5. आंखों की कमजोरी- अगर आपकी नजर कमजोर हो रही है और आप चश्मा नहीं पहनते, तो इससे भी सिरदर्द हो सकता है. ज्यादा देर तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने से आंखों पर दबाव पड़ता है और सिर दर्द होने लगता है