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May 14, 2025

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

पटना: थैलेसीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में अधिकतर परिवार तब जान पाते हैं जब उनके बच्चे को यह बीमारी होती है। यह एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रेड ब्लड सेल्स नहीं बना पाता। चूंकि ये कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं, इसलिए इनकी कमी से बच्चा थका-थका महसूस कर सकता है, कमज़ोर हो सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

 

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ती है। ये रक्त चढ़ाना जीवन बचाने में सहायक होता है, लेकिन यह कोई स्थायी इलाज नहीं है। समय के साथ बार-बार रक्त चढ़ाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे दिल और लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। यह आजीवन निर्भरता बच्चों और उनके परिवारों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से थकाऊ हो सकती है।

 

हालांकि, आधुनिक चिकित्सा में अब एक उम्मीद की किरण हैबोन मैरो ट्रांसप्लांट यह उपचार विशेष रूप से बचपन में किया जाए तो यह एक नई शुरुआत का रास्ता बन सकता है।

 

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के बोन मैरो ट्रांसप्लांट और हीमैटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. रयाज़ अहमद ने बताया किबोन मैरो यानी बोन मैरो, हमारी हड्डियों के अंदर का नरम स्पंजी टिशू होता है, जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट में, खराब हो चुकी बोन मैरो को एक उपयुक्त डोनर की स्वस्थ बोन मैरो से बदला जाता है। इससे शरीर दोबारा सामान्य रेड ब्लड सेल्स बनाना शुरू कर सकता है और भविष्य में रक्त चढ़ाने की आवश्यकता कम या खत्म हो सकती है। यदि ट्रांसप्लांट सफल हो जाए, तो बच्चा पहले की तुलना में बेहतर स्वास्थ्य के साथ जीवन जी सकता है और उसकी जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार सकता है। यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं है, लेकिन यह लंबे समय तक राहत का रास्ता ज़रूर खोलती है।

 

ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कदम होता हैएक उपयुक्त डोनर की पहचान। अक्सर सगे भाई-बहन सबसे अच्छे मैच होते हैं, लेकिन कई मामलों में अनजान डोनर भी उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं। जितनी जल्दी मेल खाता डोनर मिल जाए, सफल ट्रांसप्लांट की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

 

डॉ. रयाज़ ने आगे बताया किथैलेसीमिया की पहचान जितनी जल्दी हो, उतना ही बेहतर होता है। यदि किसी बच्चे में कमज़ोरी, पीली त्वचा या धीमा विकास जैसे लक्षण होंया फिर परिवार में पहले से इसका इतिहास होतो डॉक्टर से मिलना बेहद आवश्यक है। सही समय पर निदान और उपचार की योजना बनाकर, परिवार BMT सहित सभी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। थैलेसीमिया से जूझना कठिन हो सकता है, लेकिन परिवार अकेले नहीं हैं। बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसे आधुनिक विकल्पों ने पहले ही कई ज़िंदगियों को बदल दिया है। सही चिकित्सकीय मार्गदर्शन और सहयोग से, थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे एक उज्जवल और सक्रिय भविष्य की ओर देख सकते हैं।

 

यदि आपके परिवार में किसी को थैलेसीमिया का निदान हुआ है, तो डॉक्टर से परामर्श करें। सही समय पर सही सलाह पाना जीवन बदल देने वाला साबित हो सकता है।

May 07, 2025

बार-बार हो रह है सिरदर्द? कहीं ये इस गंभीर बीमारी का इशारा तो नहीं? डॉक्टर से जानें वजह

बार-बार हो रह है सिरदर्द? कहीं ये इस गंभीर बीमारी का इशारा तो नहीं? डॉक्टर से जानें वजह
 

कुछ समस्याएं आम हैं, जिनमें से एक है सिरदर्द की समस्या. शायद ही कोई हो जो इस समस्या से पीड़ित हो. सिरदर्द एक कॉमन प्रॉब्लम है, जिसे हम अक्सर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन अगर यह बार-बार होने लगे, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं है. लगातार सिरदर्द कई बार किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. अगर आपको हफ्ते में तीन या उससे ज़्यादा बार सिरदर्द हो रहा है, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है. ऐसे में आज हम डॉ. आदित्य गुप्ता (डायरेक्टरन्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ, आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ) से जानेंगे कि आखिर सिरदर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं.

 

1. डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया कि माइग्रेन एक कारण हो सकता हैअगर सिरदर्द के साथ उल्टी जैसा मन हो, तेज़ रोशनी और आवाज से परेशानी होती है, तो यह माइग्रेन हो सकता है. माइग्रेन में सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होता है, जो कई घंटों तक बना रह सकता है. यह जेनेटिक भी हो सकता है और तनाव, नींद की कमी या हार्मोनल बदलावों से भी बढ़ता है.

 

2. हाई ब्लड प्रेशर का संकेत- कई बार सिरदर्द हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होता है. जब ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है, तो सिर भारी लगने लगता है और आंखों के पास दर्द महसूस होता है. यह स्थिति हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकती है

 

दर्द महसूस होता है. यह स्थिति हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकती है.

3. साइनसअगर सिरदर्द के साथ-साथ नाक बंद है, चेहरे या माथे में दर्द है, तो यह साइनस की समस्या हो सकती है. यह बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन की वजह से होता है और इलाज करने पर यह पुरानी समस्या बन सकती है.

 

4. ब्रेन ट्यूमर- बहुत ही कम मामलों में, बार-बार होने वाला सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है. खासकर जब दर्द के साथ उल्टी, नजर कमजोर होना, या शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.

 

5. आंखों की कमजोरी- अगर आपकी नजर कमजोर हो रही है और आप चश्मा नहीं पहनते, तो इससे भी सिरदर्द हो सकता है. ज्यादा देर तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने से आंखों पर दबाव पड़ता है और सिर दर्द होने लगता है

May 06, 2025

अस्थमा की तकलीफ से राहत दिलाएगा सही मार्गदर्शन

 विश्व अस्थमा दिवस – 6 मई 2025 

अस्थमा की तकलीफ से राहत दिलाएगा सही मार्गदर्शन

पानीपत: अस्थमा एक पुरानी सूजन संबंधी फेफड़ों की बीमारी हैजिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और यह व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है। जब श्वासनलिकाएं (वह नलिकाएं जो फेफड़ों में और बाहर हवा ले जाती हैं) सूज जाती हैंसंकरी हो जाती हैं या बलगम से भर जाती हैंतो व्यक्ति को खांसीघरघराहटसीने में जकड़न और सांस फूलने जैसी समस्याएं होती हैं। 


अस्थमा होने के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। यदि आपके परिवार में किसी को अस्थमा या एलर्जी की समस्या रही होतो आपके इसके शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावाजिन लोगों की श्वासनलिकाएं संवेदनशील होती हैं या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ खास तरीकों से प्रतिक्रिया देती हैवे भी पर्यावरणीय कारकों के कारण अस्थमा से पीड़ित हो सकते हैं। 


मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालशालीमार बाग के पल्मोनोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. इंदर मोहन चुग ने बताया कि  “अस्थमा के लक्षण कई बार आपके आसपास मौजूद चीजों से और अधिक बिगड़ सकते हैं या अचानक शुरू हो सकते हैं। इसके सामान्य ट्रिगर हैं: धूलफफूंदीपरागकणपालतू जानवर (बिल्लीकुत्ते आदि)धुआंप्रदूषण और तेज़ गंधठंडी हवा या ठंडा खानाअत्यधिक शारीरिक परिश्रमसर्दी-जुकाम जैसी वायरल संक्रमणेंमानसिक तनाव या चिंता। अस्थमा के लक्षण कुछ लोगों में हल्के और कुछ में गंभीर हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: सांस लेने में कठिनाईघरघराहट (सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज़)खांसी (विशेषकर रात में या सुबह जल्दी)सीने में जकड़न या भारीपन महसूस होना।“ 


यदि किसी व्यक्ति में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देंतो डॉक्टर कुछ जांचों के माध्यम से इसकी पुष्टि करते हैं। स्पाइरोमेट्री या पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट्स (PFTs) से फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच की जाती है। छाती का एक्स-रे अन्य बीमारियों को नकारने में मदद करता है। रक्त जांच जैसे CBC या IgE स्तर एलर्जी या सूजन की जानकारी देते हैं। 


डॉ. चुग ने आगे बताया कि “अस्थमा का इलाज डॉक्टर की निगरानी में पूरी तरह संभव है और इसके नियंत्रण के लिए नियमित दवा सेवनइनहेलेशन थेरेपी और सही दिशा-निर्देशों का पालन आवश्यक है। इनहेलेशन थेरेपी सबसे प्रभावी तरीका है जिसमें दवा को इनहेलर या नेबुलाइज़र के माध्यम से सीधे फेफड़ों तक पहुंचाया जाता हैजिससे यह जल्दी असर करती है। इनहेलर दो प्रकार के होते हैं—रिलीवर इनहेलरजो आपात स्थिति में उपयोग होते हैंऔर कंट्रोलर इनहेलरजो रोज़ाना लक्षणों की रोकथाम के लिए लिए जाते हैं। इसके साथ हीडॉक्टर द्वारा तैयार किया गया अस्थमा एक्शन प्लान लक्षणों के प्रबंधन और आपात स्थिति से निपटने में मदद करता है। नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेना और ज़रूरत पड़ने पर उपचार योजना को संशोधित करना भी बेहद जरूरी होता है।“  


अस्थमा की रोकथाम और आत्म-देखभाल के लिए जरूरी है कि व्यक्ति अपने ज्ञात ट्रिगर्स से यथासंभव दूरी बनाए रखे और डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाएं नियमित रूप से लेचाहे लक्षण न भी हों। साथ हीलक्षणों और रिलीवर इनहेलर के उपयोग पर नजर रखना चाहिएसमय-समय पर चिकित्सा जांच करानी चाहिए और अपने अस्थमा एक्शन प्लान का पालन करते रहना चाहिए ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके और आपात स्थिति से बचा जा सके। 


अस्थमा के साथ जीवन जीना मुश्किल हो सकता हैलेकिन यह आपको अपने पसंदीदा काम करने से नहीं रोक सकता। यदि आप सही इलाज लेंइनहेलर का सही उपयोग करें और समझदारी भरी जीवनशैली अपनाएंतो आप स्वस्थ और सक्रिय रह सकते हैं।

May 03, 2025

रीढ़ की सर्जरी का डर अब बीते जमाने की बात

रीढ़ की सर्जरी का डर अब बीते जमाने की बात

आगरा:रीढ़ की सर्जरी को लेकर लंबे समय से लोगों के मन में डर बना रहा है। आम धारणा यह रही है कि यह एक जोखिम भरी प्रक्रिया है, जो दीर्घकालिक जटिलताओं या यहां तक कि लकवे जैसी स्थितियों का कारण बन सकती है। हालांकि, आज के दौर में यह सोच पूरी तरह बदल चुकी है। आधुनिक चिकित्सा तकनीक, प्रशिक्षण और नई सर्जिकल तकनीकों के चलते रीढ़ की सर्जरी अब कहीं अधिक सुरक्षित, प्रभावी और कम इनवेसिव हो गई है।


पहले के समय में रीढ़ की सर्जरी के लिए बड़े चीरे लगाने पड़ते थे, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव और लंबी रिकवरी का सामना करना पड़ता था। सर्जरी के परिणाम भी अनिश्चित रहते थे और नर्व डैमेज जैसी जटिलताओं का खतरा अधिक होता था। लेकिन आज के आधुनिक स्पाइन सर्जन विशेष उपकरणों और कैमरों की मदद से केवल 1 सेंटीमीटर तक के छोटे चीरे के जरिये सर्जरी करते हैं।


इन्हें मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं कहा जाता है, जो आसपास की मांसपेशियों और टिशूस को सुरक्षित रखती हैं। इसका नतीजा कम दर्द और तेज़ रिकवरी के रूप में सामने आता है। अधिकांश मरीज सर्जरी के अगले ही दिन खड़े होकर चलने-फिरने लगते हैं और जल्दी सामान्य जीवन में लौट आते हैं। 


मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नोएडा के स्पाइन सर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रमोद सैनी ने बताया कि “तकनीकी विकास के चलते आज स्पाइन सर्जरी में स्मार्ट उपकरणों का उपयोग हो रहा है, जिससे सर्जरी न केवल सुरक्षित हुई है बल्कि परिणाम भी अधिक सटीक हो गए हैं। रियल-टाइम नेविगेशन और नर्व मॉनिटरिंग जैसी प्रणालियां सर्जरी के दौरान सर्जन का मार्गदर्शन करती हैं और नर्व की निगरानी भी करती हैं, जिससे सर्जरी से जुड़ी जटिलताओं का जोखिम काफी हद तक कम हो गया है। इसके अलावा, रोबोटिक प्रणालियां भी अब ऑपरेशन थिएटरों में आम होती जा रही हैं, जो जटिल स्पाइन सर्जरी जैसे कि स्पाइनल फ्यूजन में छोटे और अधिक सटीक मूवमेंट्स के जरिये बेहतर परिणाम देती हैं।“


डॉ. सैनी ने आगे बताया कि “स्पाइन सर्जरी के क्षेत्र में विशेषज्ञता का भी बड़ा योगदान है। पहले सामान्य आर्थोपेडिक या न्यूरोसर्जन, जो रीढ़ से संबंधित विशेष प्रशिक्षण प्राप्त नहीं करते थे, स्पाइन सर्जरी करते थे। लेकिन अब अधिकांश स्पाइन सर्जरी वे सर्जन कर रहे हैं, जिन्होंने स्पाइन के रोगों और सर्जरी में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। ये विशेषज्ञ रीढ़ की बारीक एनाटॉमी और विभिन्न स्थितियों की गहन समझ रखते हैं और वैश्विक मानकों एवं नवीनतम क्लिनिकल गाइडलाइंस का पालन करते हैं, जिससे इलाज और भी सुरक्षित और प्रभावी बन गया है।“


आज रीढ़ की सर्जरी को अंतिम विकल्प नहीं माना जाता, बल्कि यह एक व्यावहारिक और कारगर समाधान बन चुकी है। लंबे समय से पीठ दर्द, डिस्क की समस्या, रीढ़ की विकृति या अस्थिरता जैसी स्थितियों से जूझ रहे मरीजों के लिए आधुनिक स्पाइन सर्जरी जीवन बदलने वाला उपचार साबित हो रही है। सफलता दर ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है, जोखिम न्यूनतम हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मरीज सर्जरी के बाद फिर से दर्दमुक्त और सक्रिय जीवन जीने में सक्षम हो रहे हैं। 

May 02, 2025

Max Super Specialty Hospital, Shalimar Bagh, Delhi Launches Exclusive Cardiac OPD Services

Max Super Specialty Hospital, Shalimar Bagh, Delhi Launches Exclusive Cardiac  OPD Services

Gorakhpur, 2nd May 2025: Max Super Specialty Hospital, Shalimar Bagh, Delhi today announced the launch of its exclusive OPD services for Cardiac Surgery (CTVS), in partnership with the city-based Shahi Global hospital. The OPD launch is yet another patient-centric step taken by the hospital to empower patients with accessibility and quality healthcare services without the inconvenience of traveling to metro cities. 


The OPD services were launched in the presence of Dr. Dinesh Chandra, Associate Director – Cardiac Surgery (CTVS) Max Super Speciality Hospital, Shalimar Bagh, Delhi who will be available on 1st Friday of every month from 10 am to 2 pm at Shahi Global hospital, Gorakhpur for primary consultations. 


During the launch, Dr. Dinesh Chandra, Associate Director – Cardiac Surgery (CTVS) Max Super Speciality Hospital, Shalimar Bagh, said “Emphasizing a balanced diet, physical activity, regular exercise, abstaining from smoking, and maintaining optimal blood cholesterol and sugar levels are crucial lifestyle changes. For valvular heart complications, recent advancements like catheter-based procedures offer non-surgical options for repairing leaking heart valves, reducing the need for valve replacement. Neglecting such complications may lead to enlarged hearts, breathlessness, and ultimately heart failure. This OPD launch is a valuable addition to the people of Gorakhpur who can now visit us in their city for primary and follow-up consultations, without any hassle of travel.”


Cardiac surgery has evolved, embracing minimal invasive procedures with shorter, pain-free postoperative courses. Emerging treatments like ECMO and LVAD provide hope for severe heart failure cases.


Dr. S. S. Sahi, Director, Shahi Global Hospital, said, “We are deeply grateful to Max Hospital for launching their exclusive Cardiac Surgery OPD services at Shahi Global Hospital. This partnership marks a significant step forward in bringing advanced cardiac care closer to the people of the region. With Max’s clinical excellence and our commitment to accessible healthcare, we look forward to delivering world-class cardiac services to our community.”


Max Hospital, Shalimar Bagh is committed to delivering patient-centric care, leveraging cutting-edge technology, and promoting collaborations to ensure the well-being of individuals across different regions.

May 01, 2025

Headaches That Keep Coming Back: Understanding Migraines vs Chronic Pain

Headaches That Keep Coming Back: Understanding Migraines vs Chronic PainDr Chirag Gupta, Senior Consultant, Neurology, Yatharth Hospital, Greater Noida  

Headaches are very common, but not all headaches are the same. Some people get mild headaches once in a while, while others suffer from strong, frequent head pain that affects their daily life. With work stress, long traffic hours, and hot climate, headache complaints become even more common. Knowing the difference between chronic headaches and migraines is important to get the right treatment.

What are Chronic Headaches 


Chronic headaches mean headaches that come at least 15 days a month, for three months or more. They usually feel like a dull, pressing pain, as if something is tightening around the head. Causes can include stress, bad posture, dehydration, irregular sleep, or even skipping meals. Chronic headaches might not stop you completely but can make you feel tired and irritated all the time. 


Why Migraines Feel Worse Than Normal Headaches

Migraine is a different and more intense type of headache. The pain usually throbs on one side of the head and can last from 4 hours to even 3 days. Migraines often come with other problems too, like nausea, vomiting, or extreme sensitivity to light and noise. Some people also get warning signs like flashing lights, blind spots, or tingling sensations, before the migraine attack starts. According to studies, 1 out of 7 people in India suffer from migraines, but many don’t realize it’s a medical condition and just keep taking painkillers. 


When to Seek a Doctor’s Expertise

Both chronic headaches and migraines cause head pain, but migraines are more severe and disabling. Migraines often come with triggers like certain foods, hormone changes, missing meals, or even weather changes — something very common during Indian summers and monsoons. Chronic headaches are more about a constant pressure without the extra symptoms. 


If you have headaches that are frequent, or if the pain affects your normal activities, it’s important to see a doctor. In India, most people still depend on home remedies or over-the-counter tablets without proper diagnosis. A neurologist can help you find out whether you have a chronic tension headache, a migraine, or something else, and guide you to the best treatment. 


Ways to Manage Chronic Headaches and Migraines

Treatment depends on the type of headache. For chronic headaches, small lifestyle changes like regular sleep, drinking enough water, reducing screen time, and managing stress can help a lot. For migraines, doctors may prescribe medicines that either stop an attack or prevent future ones. Newer options like Botox injections and nerve stimulation therapies are now available in many Indian cities for people who don’t respond to regular medicines. 


Ignoring headaches can make them worse over time. Early diagnosis and proper management can really change your life. Whether it’s a chronic headache or a migraine, knowing the difference and getting timely medical help can bring back a better quality of life — something everyone deserves.