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May 20, 2025

25 मई 2025 को होगा वीएमसी का नेशनल एडमिशन टेस्ट

25 मई 2025 को होगा वीएमसी का नेशनल एडमिशन टेस्ट

नई दिल्ली : विद्यामंदिर क्लासेज (वीएमसी) देश का जाना-माना कोचिंग संस्थान है जो जेईई (मेन व एडवांस), नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में विशिष्टता रखता है. वीएमसी अपने फ्लैगशिप टेस्ट यानी एनएटी के लिए तैयार है जिसके जरिए छात्र एडमिशन और स्कॉलरशिप पा सकेंगे. ये टेस्ट 25 मई को होगा जिसके जरिए देशभर के अच्छे छात्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा और उनकी परफॉर्मेंस के लिए रिवॉर्ड भी दिया जाएगा. यह स्कॉलरशिप कम एडमिशन टेस्ट छात्रों को प्रोत्साहित करने और उन्हें शैक्षिक सफलता की ओर प्रेरित करने के लिए आयोजित किया जाएगा।


यह परीक्षा उन छात्रों के लिए है जो कक्षा 6वीं, 7वीं, 8वीं, 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं में जा रहे हैं। उन्हें विद्यामंदिर क्लासेज के विभिन्न प्रोग्राम्स में दाखिले और 100% तक की स्कॉलरशिप पाने का अवसर मिलेगा। इस टेस्ट के माध्यम से छात्र जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी में भी बढ़त हासिल करेंगे। इसके तहत वीएमसी संस्थापकों और विशेषज्ञों द्वारा मेंटॉरशिप / मोटिवेशनल सेशंस, नि:शुल्क डाउट रिज़ॉल्यूशन, निकटतम वीएमसी केंद्र पर अकादमिक सहायता, अच्छी तरह से शोधित और वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया ई-स्टडी मैटेरियल और असीमित मॉक टेस्ट का लाभ भी दिया जाएगा।


वीएमसी पूरे देश में नेशनल एडमिशन टेस्ट का आयोजन अपने प्रतिष्ठित क्लासरूम और ऑनलाइन प्रोग्राम्स के लिए छात्रों का चयन करने हेतु करता है। इन प्रोग्राम्स को जेईई और नीट के साथ-साथ ओलंपियाड्स और बोर्ड्स जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।


विद्यामंदिर क्लासेज के सह-संस्थापक श्री बृज मोहन ने कहा “विभिन्न चरणों में छात्रों की जरूरतों को समझना वीएमसी की शिक्षण पद्धति की प्रेरणा रहा है। यही कारण है कि हमारे छात्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं। वीएमसी में कक्षाओं का नेतृत्व संस्थापकों और अत्यधिक अनुभवी फैकल्टी सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो जेईई और नीट जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करते हैं।”


विद्यामंदिर क्लासेज का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान की एक ठोस नींव तैयार करना और योग्य और प्रेरित इंजीनियरों और डॉक्टरों को तैयार करना है। जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने वाले छात्रों को, जो देश के शीर्ष इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में अध्ययन करना चाहते हैं, इस परीक्षा को जरूर देना चाहिए।


अधिक जानकारी और एनएटी के लिए रजिस्ट्रेशन करने हेतु www.vidyamandir.com पर जाएं।

May 19, 2025

शरीर की गांठें कभी बन सकती हैं कैंसर का कारण

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

लखनऊ: बांह या टांग में अचानक कोई गांठ महसूस होना कई बार चिंता का विषय बन सकता है। हालांकि अधिकतर मामलों में ये गांठें हानिरहित होती हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती हैं, जिन्हें समय पर चिकित्सकीय जांच की आवश्यकता होती है।

 

आम लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और चिकित्सा पेशेवरों के लिए यह समझना जरूरी है कि मरीज को विशेषज्ञ के पास रेफर करने की जरूरत कब है। सबसे अहम सवाल यह होता है कि कहीं यह गांठ कैंसरजन्य (सारकोमा) तो नहीं है?

 

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अक्षय तिवारी ने बताया कि "अगर किसी गांठ का आकार या आकृति समय के साथ बदल रही है, तो यह खतरे का संकेत हो सकता है। गांठ का तेजी से बढ़ना, उसमें दर्द होना, या त्वचा का रंग बनावट बदलनाये सभी लक्षण इस बात की ओर इशारा कर सकते हैं कि गांठ सामान्य नहीं है। यदि गांठ लाल, सूजी हुई या छूने पर गर्म लगती है, या गांठ के साथ बुखार, थकावट या वजन कम होना जैसे लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। इसके अलावा, यदि गांठ 5 सेंटीमीटर से बड़ी हो या मांसपेशियों के अंदर गहराई में स्थित हो, तो यह सारकोमा हो सकता है।"

 

सारकोमा यानी हड्डी या मांसपेशियों का कैंसर, एक दुर्लभ बीमारी है। इसी वजह से इसे अक्सर देर से पहचाना जाता है या गलत निदान हो जाता है। यदि आपको हाल ही में कोई नई या असामान्य गांठ दिखाई दे, खासकर उपरोक्त चेतावनी संकेतों के साथ, तो तुरंतऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। आमतौर पर जांच में रोगी का इतिहास, शारीरिक परीक्षण और आवश्यकतानुसार इमेजिंग टेस्ट या बायोप्सी शामिल होते हैं। समय पर पहचान और उपचार से सिर्फ बीमारी का इलाज संभव होता है, बल्कि प्रभावित अंग की कार्यक्षमता भी बचाई जा सकती है।

 

डॉ. तिवारी आगे कहते हैं, "स्वास्थ्य के मामले में सतर्कता सबसे बड़ी सुरक्षा है। अगर किसी गांठ को लेकर संदेह हो, या उसमें कोई बदलाव नजर आए, तो समय गंवाए बिना विशेषज्ञ से संपर्क करें। ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजिस्ट से परामर्श लेकर जांच कराना ही समझदारी है।"

 

अपना और अपनों का स्वास्थ्य सुरक्षित रखने के लिए जागरूक रहना जरूरी है। किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज करें और समय रहते जांच कराएंक्योंकि समय पर किया गया एक कदम, जीवन भर की सुरक्षा दे सकता है।

May 14, 2025

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

बोन मैरो ट्रांसप्लांट दे रहा है थैलेसीमिया पीड़ितों को नया जीवन

पटना: थैलेसीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में अधिकतर परिवार तब जान पाते हैं जब उनके बच्चे को यह बीमारी होती है। यह एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रेड ब्लड सेल्स नहीं बना पाता। चूंकि ये कोशिकाएं शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं, इसलिए इनकी कमी से बच्चा थका-थका महसूस कर सकता है, कमज़ोर हो सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

 

थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर नियमित रूप से ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ती है। ये रक्त चढ़ाना जीवन बचाने में सहायक होता है, लेकिन यह कोई स्थायी इलाज नहीं है। समय के साथ बार-बार रक्त चढ़ाने से शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे दिल और लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। यह आजीवन निर्भरता बच्चों और उनके परिवारों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से थकाऊ हो सकती है।

 

हालांकि, आधुनिक चिकित्सा में अब एक उम्मीद की किरण हैबोन मैरो ट्रांसप्लांट यह उपचार विशेष रूप से बचपन में किया जाए तो यह एक नई शुरुआत का रास्ता बन सकता है।

 

मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के बोन मैरो ट्रांसप्लांट और हीमैटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. रयाज़ अहमद ने बताया किबोन मैरो यानी बोन मैरो, हमारी हड्डियों के अंदर का नरम स्पंजी टिशू होता है, जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट में, खराब हो चुकी बोन मैरो को एक उपयुक्त डोनर की स्वस्थ बोन मैरो से बदला जाता है। इससे शरीर दोबारा सामान्य रेड ब्लड सेल्स बनाना शुरू कर सकता है और भविष्य में रक्त चढ़ाने की आवश्यकता कम या खत्म हो सकती है। यदि ट्रांसप्लांट सफल हो जाए, तो बच्चा पहले की तुलना में बेहतर स्वास्थ्य के साथ जीवन जी सकता है और उसकी जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार सकता है। यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं है, लेकिन यह लंबे समय तक राहत का रास्ता ज़रूर खोलती है।

 

ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कदम होता हैएक उपयुक्त डोनर की पहचान। अक्सर सगे भाई-बहन सबसे अच्छे मैच होते हैं, लेकिन कई मामलों में अनजान डोनर भी उपयुक्त विकल्प हो सकते हैं। जितनी जल्दी मेल खाता डोनर मिल जाए, सफल ट्रांसप्लांट की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

 

डॉ. रयाज़ ने आगे बताया किथैलेसीमिया की पहचान जितनी जल्दी हो, उतना ही बेहतर होता है। यदि किसी बच्चे में कमज़ोरी, पीली त्वचा या धीमा विकास जैसे लक्षण होंया फिर परिवार में पहले से इसका इतिहास होतो डॉक्टर से मिलना बेहद आवश्यक है। सही समय पर निदान और उपचार की योजना बनाकर, परिवार BMT सहित सभी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। थैलेसीमिया से जूझना कठिन हो सकता है, लेकिन परिवार अकेले नहीं हैं। बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसे आधुनिक विकल्पों ने पहले ही कई ज़िंदगियों को बदल दिया है। सही चिकित्सकीय मार्गदर्शन और सहयोग से, थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे एक उज्जवल और सक्रिय भविष्य की ओर देख सकते हैं।

 

यदि आपके परिवार में किसी को थैलेसीमिया का निदान हुआ है, तो डॉक्टर से परामर्श करें। सही समय पर सही सलाह पाना जीवन बदल देने वाला साबित हो सकता है।

May 07, 2025

बार-बार हो रह है सिरदर्द? कहीं ये इस गंभीर बीमारी का इशारा तो नहीं? डॉक्टर से जानें वजह

बार-बार हो रह है सिरदर्द? कहीं ये इस गंभीर बीमारी का इशारा तो नहीं? डॉक्टर से जानें वजह
 

कुछ समस्याएं आम हैं, जिनमें से एक है सिरदर्द की समस्या. शायद ही कोई हो जो इस समस्या से पीड़ित हो. सिरदर्द एक कॉमन प्रॉब्लम है, जिसे हम अक्सर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन अगर यह बार-बार होने लगे, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं है. लगातार सिरदर्द कई बार किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. अगर आपको हफ्ते में तीन या उससे ज़्यादा बार सिरदर्द हो रहा है, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी है. ऐसे में आज हम डॉ. आदित्य गुप्ता (डायरेक्टरन्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ, आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम ) से जानेंगे कि आखिर सिरदर्द होने के क्या कारण हो सकते हैं.

 

1. डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया कि माइग्रेन एक कारण हो सकता हैअगर सिरदर्द के साथ उल्टी जैसा मन हो, तेज़ रोशनी और आवाज से परेशानी होती है, तो यह माइग्रेन हो सकता है. माइग्रेन में सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होता है, जो कई घंटों तक बना रह सकता है. यह जेनेटिक भी हो सकता है और तनाव, नींद की कमी या हार्मोनल बदलावों से भी बढ़ता है.

 

2. हाई ब्लड प्रेशर का संकेत- कई बार सिरदर्द हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होता है. जब ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है, तो सिर भारी लगने लगता है और आंखों के पास दर्द महसूस होता है. यह स्थिति हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकती है

 

दर्द महसूस होता है. यह स्थिति हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकती है.

3. साइनसअगर सिरदर्द के साथ-साथ नाक बंद है, चेहरे या माथे में दर्द है, तो यह साइनस की समस्या हो सकती है. यह बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन की वजह से होता है और इलाज करने पर यह पुरानी समस्या बन सकती है.

 

4. ब्रेन ट्यूमर- बहुत ही कम मामलों में, बार-बार होने वाला सिरदर्द ब्रेन ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है. खासकर जब दर्द के साथ उल्टी, नजर कमजोर होना, या शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.

 

5. आंखों की कमजोरी- अगर आपकी नजर कमजोर हो रही है और आप चश्मा नहीं पहनते, तो इससे भी सिरदर्द हो सकता है. ज्यादा देर तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने से आंखों पर दबाव पड़ता है और सिर दर्द होने लगता है